निमोनिया के लक्षण से लेकर बचाव के बारे में पूरी जानकारी यहां मिलेगी

निमोनिया के लक्षण से लेकर बचाव के बारे में पूरी जानकारी यहां मिलेगी

रोहित पाल

निमोनिया एक संक्रामक रोग है जो फेफड़ों में होता है। यह संक्रमण एक या दोनों फेफड़ों के वायु थैलों को मवाद या द्रव से भरकर सुजा देता है। निमोनिया से बच्चों और 65 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों को खतरा अधिक रहता है। वैसे तो यह आम बीमारी है लेकिन सही से इलाज न मिले तो यह जानलेवा हो सकती है।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की होने वाली मौतों में 15 फीसदी मौतें निमोनिया की वजह से ही होती हैं। बच्चों में आमतौर पर वायरल से निमोनिया होता है, जबकि स्मोकिंग करनेवालों में बैक्टीरिया से। आमतौर पर बुखार या जुकाम होने के बाद निमोनिया होता है और यह 10-12 दिन में ठीक हो जाता है। लेकिन कई बार यह खतरनाक भी हो जाता है।

निमोनिया के प्रकार:

1- बैक्टीरियल निमोनिया

इस प्रकार का निमोनिया विभिन्न बैक्टीरिया के कारण होता है, इसमें सबसे सामान्य स्ट्रेप्टोकोकस निमोने है। यह आमतौर पर तब होता है जब शरीर किसी तरह से कमजोर हो जाता है, जैसे कि बीमारी, पोषण की कमी, बुढ़ापा या शरीर की प्रतिरक्षा की समस्याएं जिससे बैक्टीरिया फेफड़ों में चला जाता है। बैक्टीरियल निमोनिया सभी उम्र को प्रभावित कर सकता है लेकिन अगर आप शराब पीते हैं, धूम्रपान करते हैं, कमजोर हैं, हाल ही में आपकी सर्जरी हुई है, आपको श्वसन रोग या वायरल संक्रमण है, या आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है, तो आपको निमोनिया होने की संभावनाएं ज़्यादा है।

2- वायरल निमोनिया

इस प्रकार का निमोनिया इन्फ्लूएंजा (फ्लू) सहित विभिन्न वायरस के कारण होता है। यदि आपको वायरल निमोनिया है तो आपको बैक्टीरियल निमोनिया होने की अधिक संभावनाएं हैं।

3- माइकोप्लाज्मा निमोनिया

इस प्रकार के निमोनिया के कुछ अलग लक्षण होते हैं और इसे एटिपिकल निमोनिया कहा जाता है। यह माइकोप्लाज्मा निमोने नामक जीवाणु के कारण होता है। यह आम तौर पर हल्के परन्तु बड़े पैमाने पर निमोनिया का कारण बनता है जो सभी आयु समूहों को प्रभावित करता है।

4- एस्पिरेशन निमोनिया

इस प्रकार का निमोनिया किसी भोजन, तरल, गैस या धूल से होता है। यह नेक्रोटाइज़िंग निमोनिया, एनएरोबिक निमोनिया, एस्पिरेशन निमोनाइटिज़ और एस्पिरेशन ऑफ़ वोमिटिस के नाम से भी जाना जाता है। निमोनिया के इस प्रकार को कभी-कभी ठीक करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि जिन लोगों को एस्पिरेशन निमोनिया होता है वह पहले से ही बीमार होते हैं।

5- फंगल निमोनिया

इस प्रकार का निमोनिया विभिन्न स्थानिक या अवसरवादी कवक से होता है। इससे फंगल संक्रमण, जैसे कि हिस्टोप्लाज्मोसिस  कोक्सीडियोडोमाइकोसिस और ब्लास्टोमायकोसिस होते हैं। फंगल निमोनिया के मामलों का निदान करना काफी कठिन है।

लक्षण:

  • पसीना और कपकपी के सात बुखार आना।
  • बलगम वाली खांसी।
  • सांस लेने में कठिनाई या तेजी से सांसे लेना।
  • सीने में दर्द या बेचैनी।
  • भूख की कमी।
  • उलझन।
  • खांसी में खून का आना।
  • ब्लड प्रेशर की समस्या।
  • मतली या उल्टी की समस्या।

कारण:

  • अलग-अलग प्रकार के जीवाणुओं के कारण निमोनिया हो जाता है।
  • यह स्ट्रेप गले स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया के प्रभाव से होता है।
  • यह रोग बैक्टीरिया, कवक, वायरस, मायकोमासैमस या यहां तक कि रसायनों जैसे कई कारकों के कारण होतेा है।
  • जिन लोगों को प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्याएं हैं उन्हें निमोनिया अन्य जीवों के कारण भी हो सकता है जैसे कि निमोकॉस्टिस जिरोवची। यह फंगस अक्सर उन लोगों में निमोनिया का कारण बनता है जिन्हें एड्स है।

निमोनिया से बचाव:

  • निमोनिया और फ्लू को रोकने के लिए अक्सर टीके लगाए जाते हैं। हालांकि अगर आपने कभी टीके लगवाए हो तो फिर भी समय-समय पर टीके के लिए डॉक्टर से परामर्श करें।
  • डॉक्टर 2 साल से कम आयु के बच्चों और 2 से 5 साल के बच्चों के लिए अलग-अलग निमोनिया के टीकों की सलाह देते हैं। डॉक्टर 6 महीने से अधिक उम्र के बच्चों के लिए फ्लू शॉट्स की सलाह भी देते हैं।
  • स्वच्छता का बिल्कुल ध्यान रखें। अपने हाथों को हमेशा साफ रखें।
  • ज्यादा धूम्रपान न करें क्योंकि अधिक धूम्रपान से फेफड़ों को ज्यादा नुकसान पहुंचता हैं।
  • अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत रखें।
  • लिक्विड जैसे पदार्थों का सेवन अधिक करें, जैसे नारियल पानी, जूस, नीबू पानी आदि।
  • पूरी नींद लें। पूरी नींद लेने से जल्दी आराम मिलता है।
  • खांसते हुए मुंह पर नैपकिन रखें ताकि मुंह से कीटाणु निकालकर दूसरों पर हमला न करें। अगर किसी को खांसी है तो उससे थोड़ा दूर रहें।
  • निमोनिया में अदरक और हल्दी की गर्म चाय पीने से लगातार आ रही खांसी के कारण होने वाले सीने के दर्द में आराम मिलता है। अदरक और हल्दी के पौधों की जड़ें सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती हैं।

इलाज:

सबसे पहले डॉक्टर निमोनिया की गंभीरता की जाँच करते हैं इसके बाद बीमारी की गंभीरता के अनुसार इलाज किया जाता है। यदि आपके लक्षण ठीक नहीं है तो डॉक्टर बीमारी को कम करने के लिए एंटी-बायोटिक दवा दे सकता है। खांसी को कम करने के खांसी की दवा दे सकता है और बुखार व बेचैनी के लिए आवशयकता अनुसार खुराक दे सकता है।

विश्वीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत एक नया टीका पेश किया गया था जिसे न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (PVC) कहा जाता है। यह नया टीका लाखों बच्चों को मुफ्त में प्राप्त कराया जाता है खासतौर उन बच्चों को जो गरीब हैं और जिन्हें इसकी जरूरत है। यह टीका निमोनिया और मेनिनजाइटिस जैसे न्यूमोकोकल रोगों से बच्चों की सुरक्षा करता है।

 

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